![](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/69875808/photo-69875808.jpg)
देहरादून केदारनाथ में वर्ष 2013 में आई आपदा को शायद ही कोई भूला हो। की वजह से लोगों ने भयानक त्रासदी का सामना किया लेकिन क्या वह पुनर्जीवित हो रही है? दरअसल, केदारनाथ में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाले मेडिकल प्रफेशनल्स के एक ग्रुप ने इस बात का दावा किया है कि चोराबाड़ी झील खुद-ब-खुद तैयार हो रही है। इस झील को गांधी सरोवर के नाम से भी जाना जाता है, यह बाढ़ के बाद पूरी तरह से गायब हो गई थी। इतना ही नहीं, झील वाला स्थान समतल भूमि में परिवर्तित हो गया था। हालांकि, मेडिकल प्रफेशनल्स का कहना है कि उन्हें झील मिली है, जो कि केदारनाथ मंदिर से पांच किलोमीटर की दूरी पर है, यह पानी से लबालब है। इस बात की जानकारी उन्होंने जिला प्रशासन को भी दी है, जिसने दून स्थित वाडिया इन्स्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जिऑलजी को अलर्ट कर दिया है। 'पानी से लबालब है चोराबाड़ी झील'सिक्स सिग्मा स्टार हेल्थकेयर के सीईओ और मेडिकल डायरेक्टर डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि वह 16 जून को एसडीआरएफ, पुलिस और जिला प्रशासन की एक टीम के साथ चोराबाड़ी झील के नजदीक गए थे, जहां पर उन्होंने पानी से भरी हुई झील को देखा। भारद्वाज ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'यह रास्ता घाटी के मुश्किल रास्तों में से एक है, जिससे हम उस जगह पर पहुंचे जहां से चोराबाड़ी को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। हमने देखा कि वह फिर से पानी से लबालब है।' 'वक्त रहते ध्यान न दिया गया तो...'यह सुनिश्चित करने पर कि क्या वह आश्वस्त हैं कि झील चोराबाड़ी ही थी, कहीं हिमालय की कोई अन्य झील तो नहीं, उन्होंने कहा, 'मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि यह झील चोराबाड़ी ही थी। वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई त्रासदी के वक्त श्रद्धालुओं को बचाने के लिए पहले पहुंचने वाले डॉक्टरों में से मैं भी एक हूं। तब से आज तक मैं और मेरी टीम हर वर्ष केदारनाथ में स्वास्थ्य संबंधी कैंप लगा रहे हैं। यह झील मंदिर के पीछे है और फिर से खुद-ब-खुद तैयार हो रही है और यदि इस पर वक्त रहते ध्यान न दिया गया तो बड़ी घटना घटित हो सकती है।' वैज्ञानिकों ने किया था यह दावा कहा जाता है कि चोराबाड़ी झील तकरीबन 250 मीटर लंबी और 150 मीटर चौड़ी है और यह बारिश, पिघलने वाली बर्फ और हिमस्खलन की वजह से भरी है। वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई त्रासदी के बाद जिन वैज्ञानिकों ने इस झील की भूमिका के बारे में अध्ययन किया, उनका दावा था कि यह फिर कभी जीवित नहीं हो पाएगी। 'बाढ़ की वजह से पूरी खत्म हो गई थी झील'डॉ. भारद्वाज के दावे के बारे में जब टाइम्स ऑफ इंडिया ने वाडिया इन्स्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जिऑलजी के जिऑलजिकल साइंटिस्ट डीपी डोभाल से बात की तो उन्होंने कहा, 'हम केदारनाथ में तकरीबन एक दशक से ज्यादा वक्त से काम कर रहे हैं और कह सकते हैं कि चोराबाड़ी झील के पुनर्जीवित होने का कोई चांस ही नहीं है क्योंकि बाढ़ के चलते यह पूरी तरह से खत्म हो गई थी।' उन्होंने यह भी कहा, 'हमें जिला प्रशासन द्वारा सूचना मिली है कि झील खुद-ब-खुद तैयार हो रही है। मुझे इस पर संदेह है। यह ग्लेशियर से तैयार कोई अन्य झील हो सकती है लेकिन मैं मौके का मुआयना करने के बाद ही इस विषय पर कोई टिप्पणी कर सकता हूं।' गौरतलब है कि वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई आपदा के पीछे चोराबाड़ी झील को एक प्रमुख कारण माना गया था। इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए
from Uttarakhand News in Hindi, Uttarakhand News, उत्तराखंड समाचार, उत्तराखंड खबरें| Navbharat Times http://bit.ly/2WTbcQt
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें