बुधवार, 15 जुलाई 2015

ॐ जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का.स्वामी दुख बिनसे मन का
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे,कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी,स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा,आस करूं मैं जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी,स्वामी तुम अंतरयामी
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर,तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता,स्वामी तुम पालनकर्ता
मैं मूरख खल कामी, मैं सेवक तुम स्वामी,कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय,तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीनबंधु दुखहर्ता, ठाकुर तुम मेरे,स्वामी ठाकुर तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ,द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,स्वमी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,संतन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे

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