शनिवार, 4 जुलाई 2015

चूर-चूर होता है

उल्फत का ‪#‎अक्सर‬ यही दस्तूर होता है!
जिसे चाहो वही ‪#‎अपने‬ से दूर होता है!
दिल टूटकर ‪#‎बिखरता‬ है इस कदर!
जैसे कोई कांच का ‪#‎खिलौना‬ चूर-चूर होता है

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