शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

यूं उम्र ठहरने पर

हम तो ठहरें हैं अब यूं उम्र ठहरने पर
या रब, या रब उनके करने-धरने पर
जाँ यूं निकलके ही आ जाती हाथों पर
देखा हमने भी ये ‪#‎साँसों‬ के गुजरने पर
तेरा चेहरा है कमरे के हर कोने में पर
याद आयी तू लौ ख्यालें सर चढने पर
काट कर हम भी जला देंगे परिंदे पर
आऐगी बात जब मरने-मारने पर

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