बुधवार, 29 जुलाई 2015

तुम देख रहे हो कृष्ण

जब कभी कोई हादसा हो जाय उत्पात हो जाय 
तब मनुष्य भगवान को याद करता हे 
मंदिर की और दौड़ने लगता हे कहता हे 
तुम देख रहे हो कृष्ण 
ये हमारे साथ क्या हो रहा हे 
किन्तु जब भगवान की ही प्रेरणा से सब ठीक होने लगता हे 
तब उस मनुष्य को अपने पर विश्वास होने लगता हे 
और पुनः भगवान को भूल जाता हे ! 
जब कोई अधर्म,चोरी आदि करते हे 
तब भूल जाते हे की भगवान सब देख रहे हे ! 
जहा काम,क्रोध,लोभ होता हे 
वहा से भगवान की दृष्टी हट जाती हे 
और साथ ही कृपा भी 
परन्तु फिर भी भगवान उन सबको सबको अवसर देते ही हे ! 
सभी भगवान के हे किन्तु कोई उन्हें अपना मानता नहीं ! 
उन्हें पराया कर असत्य अपने शरीर और शरीर के सम्बन्धी,इच्छा आदि 
को अपना मान बैठे हे जो इस यात्रा में कभी भी साथ त्याग सकते हे किन्तु कृष्ण ! 
कृष्ण कभी नहीं साथ त्यागेंगे बस एक बार उनकी शरण में जाकर तोह देखो 
अपना सब उन्हें समर्पित करके तोह देखो !
श्री कृष्ण शरणम् ममः |
श्री कृष्ण शरणम् ममः |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें