रविवार, 5 जुलाई 2015

अक्सर तन्हाईयो में तड़प जाओगे।

पीली पगडंडियों पर हमारे कदमो के ‪#‎निशान‬ मिट नहीं पायेगे,
जब मैं ना रहूँगी,
रश्मियों में तैरती ‪#‎नजर‬ आऊँगी ,
यादो के झरोखे से झाँकती नजर आउगी,
तन्हाई में तुम्हारी आँखों में ‪#‎तस्वीर‬ बन उभर आऊँगी ,
सागर की हवाओ में सन-सनी हो जाएगी,
मेरे वजुद का ‪#‎अहसास‬ पाओगे,
कभी ढोला-मारू जेहन में फलक से उतर आएगा ,
मुझे यू ना भुला पाओगे,

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें