रविवार, 5 जुलाई 2015

जो न समझा

विश्वास एक ऐसा ‪#‎रिश्ता‬ है
जो समझा  वो ‪#‎कमियाब‬ हो गया
जो न समझा ‪#‎रस्ते‬ मे रह गया

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें