शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

प्राण"(आत्मा की छाया) की उत्पत्ति

"प्राण"(आत्मा की छाया) की उत्पत्ति !!!

भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं,


अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च ।
नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः ॥
यह आत्मा न कटनेवाला, न जलनेवाला, न गलनेवाला और न सूखनेवाला है। 

आपस में एक दूसरे का नाश कर देने वाले पंचभूत इस आत्मा का नाश करने के लिए समर्थ नहीं है। 
इसलिए यह नित्य है। नित्य होने से सर्वगत है। सर्वव्यापी होने से स्थाणु (ठूँठ) की भाँति स्थिर है। 
स्थिर होने से यह आत्मा अचल है और इसीलिए सनातन है। 
अर्थात किसी कारण से नया उत्पन्न नहीं हुआ है। पुराना है।

ये महीना आपके जीवन मेँ मंगलमय साबित हो

ऊँनमः शिवाय नाशिक तंमबकशवेर नमः 
बृहमा विशणु मेहस गोदावरी कुंभ नमः कुंड कुुसावेर नमः
सभी प्रिय मित्रोँ को श्रावण महीना प्रारंभ होने की 
बहुत बहुत हार्दिक बधाई ये महीना आपके जीवन मेँ मंगलमय साबित हो

आज का दिनाँक 01 अगस्त 2015

आज का दिनाँक 01 अगस्त 2015
दिन - शनिवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - श्रावण
पक्ष - कृष्णपक्ष
तिथि - एकम
नक्षत्र - श्रवण
योग - आयुष्मान
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
****
मनुष्य का सर्वोच्च ध्येय प्रभु का निःस्वार्थ प्रेम होना चाहिये। 

उसमे तनिक भी संदेह नही होना चाहिये।

गुरुवार, 30 जुलाई 2015

आज 31जुलाई,को गुरु पूर्णिमा पर्व है...
समस्त स्नेही मित्रो को गुरु_पूर्णिमा‬ पर्व की हार्दिक शुभकामनायें |
'गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णु र्गुरूदेवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥'
गुरु को अपनी महत्ता के कारण ईश्वर से भी ऊँचा पद दिया गया है।
शास्त्र वाक्य में ही गुरु को ही ईश्वर के विभिन्न रूपों-
ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। .
गुरू गोविंद दोउ खडे, काके लागूं पाँय।
बलिहारी गुरू आपने, गोविंद दियो मिलाय॥
सभी को सुप्रभात और
गुरू पूर्णिमा पर शुभकामनाएं
साहस शील ह्रदय मेँ भर दे, जीवन त्याग तपोमय कर दे,
संयम,सत्य,स्नेह का वर दे, स्वाभिमान भर दे ।
अम्ब विमल मति दे ॥
हे हंस वाहिनी,ज्ञानदायिनी ।
अम्ब विमल मति दे ।

आप सबको गुरुपूर्णिमा की शुभकामनाये

#‎गुरुपूर्णिमा_की_शुभकामनाये‬ 
*********************
आज "गुरुपूर्णिमा" है ..और हम सब के कोई न कोई गुरु अवश्य होते है
जीवन में ..चाहे वो ईश्वर के रूप में हो ,
या स्कूल केअध्यापक के रूप में हो या
फिर हमारे माता -पिता ही क्यों न हो ...
कभी कभी आश्चर्यजनक रूप से ,
हमारे मित्र, हमारे भाई - बहन , हमारे बच्चे ,
हमारे प्रेमी -- प्रेमिकाये भी गुरु के रूप में
हमें कोई न कोई जीवन का मन्त्र दे जाते है ..
तो आईये , हम इस पावन दिन को अपने अपने तरीके से
अपने गुरु श्री को एक छोटा सा धन्यवाद बोल कर मनाये ,
आपके जीवन को सुखी बनाये ,

आप सबको गुरुपूर्णिमा की शुभकामनाये !!!

आज का दिनाँक 31 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 31 जुलाई 2015
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ़
पक्ष - शुक्लपक्ष
तिथि - पूर्णिमा
नक्षत्र - उत्तराषाढा
योग - प्रीति
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
****
जो लोग आपके लिए कुछ नहीं कर सकते 

उनके प्रति आपका व्यवहार ही आपके चरित्र का मापदण्ड है।

बुधवार, 29 जुलाई 2015

दूर नहीं होते.

वक़्त की हो धूप या तेज़ हो आँधियाँ,
कुछ क़दमों के निशाँ कभी नहीं खोते,
जिन्हें याद करके मुस्कुरा दें ये आँखें,
वो लोग दूर होकर भी दूर नहीं होते..!!

तुम देख रहे हो कृष्ण

जब कभी कोई हादसा हो जाय उत्पात हो जाय 
तब मनुष्य भगवान को याद करता हे 
मंदिर की और दौड़ने लगता हे कहता हे 
तुम देख रहे हो कृष्ण 
ये हमारे साथ क्या हो रहा हे 
किन्तु जब भगवान की ही प्रेरणा से सब ठीक होने लगता हे 
तब उस मनुष्य को अपने पर विश्वास होने लगता हे 
और पुनः भगवान को भूल जाता हे ! 
जब कोई अधर्म,चोरी आदि करते हे 
तब भूल जाते हे की भगवान सब देख रहे हे ! 
जहा काम,क्रोध,लोभ होता हे 
वहा से भगवान की दृष्टी हट जाती हे 
और साथ ही कृपा भी 
परन्तु फिर भी भगवान उन सबको सबको अवसर देते ही हे ! 
सभी भगवान के हे किन्तु कोई उन्हें अपना मानता नहीं ! 
उन्हें पराया कर असत्य अपने शरीर और शरीर के सम्बन्धी,इच्छा आदि 
को अपना मान बैठे हे जो इस यात्रा में कभी भी साथ त्याग सकते हे किन्तु कृष्ण ! 
कृष्ण कभी नहीं साथ त्यागेंगे बस एक बार उनकी शरण में जाकर तोह देखो 
अपना सब उन्हें समर्पित करके तोह देखो !
श्री कृष्ण शरणम् ममः |
श्री कृष्ण शरणम् ममः |

आतंकवादी नहीं होता..

एक हिन्दू परिवार गाङी में जा रहा था।
कुछ आतंकवादियों ने गाङी को रोका। 
एक आतंकवादी ने परिवार के मुखिया कि कनपटी पे बंदूक रखी 
और कहा "तुम्हारी ज़ात क्या है ? 
हिन्दू बोला ..."मुसलमान" 
आतंकवादी ने कहा- कुरआन कि कोई आयत सुनाओ 
हिन्दू ने आयत सुना दी 
आतंकवादी ने कहा - अब तुम जा सकते हो 
जब वो परिवार वहां से निकला तो 
हिन्दू से उसकी पत्नी ने कहा -आपने तो गीता की चोपाई सुनाई थी 
फिर उसने हमें कैसे छोङा 
हिन्दू ने कहा - अगर ये कुरआन पढ लेता तो आतंकवादी नहीं होता..

आज का दिनाँक 30 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 30 जुलाई 2015
दिन - गुरूवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ़
पक्ष - शुक्लपक्ष
तिथि - चतुर्दशी
नक्षत्र - पूर्वाषाढा
योग - विष्कंभ
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में

************************************
आप जैसे विचार करेंगे वैसे आप हो जायेंगे 
अगर अपने आपकों निर्बल मानेंगे तो आप निर्बल बन जायेंगे 
और यदि अपने आपको समर्थ मानेंगे तो आप समर्थ बन जायेंगे।

मंगलवार, 28 जुलाई 2015

हर हर महादेव

जय भोलेनाथ जय श्री सोमनाथ हर हर महादेव
॥ श्री महारुद्राय सोमेश्वराय ज्योतिर्लिंगाय नम: ॥


जय महेश जय जय त्रिलोचन ।
भगत त्रास त्रय ताप विमोचन ।।

आशुतोष जय जलज विलोचन ।
भव सम्भव दारुण दुःख मोचन ।।

जयति जयति जय जय त्रिपुरारी ।
दनुज देव सेवक नर नारी

भगत कामतरु करुणाधाम काशीनाथ विश्वम्भरं ।
दीनानाथ धरु मम सिर हाथ पाहि शंकर उमा वरं ।।

आज का दिनाँक 29 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 29 जुलाई 2015
दिन - बुधवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ़
पक्ष - शुक्लपक्ष
तिथि - त्रयोदशी
नक्षत्र - मूल
योग - वैधृति
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
****
खुश रहने का मतलब यह नहीं कि सब कुछ उत्तम है।

इसका मतलब है कि आपने कमियों से ऊपर उठने का निर्णय कर लिया है।

शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 25 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 25 जुलाई 2015
दिन - शनिवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ़
पक्ष - शुक्लपक्ष
तिथि - नवमी
नक्षत्र - स्वाति
योग - शुभ
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
****
जीवन में पहला संधर्ष मन के साथ ही होता है 

क्योकि मन को नकारात्मकता वाला सरल रास्ता अधिक पसंद आता है।

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 24 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 24 जुलाई 2015
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ़
पक्ष - शुक्लपक्ष
तिथि - अष्टमी
नक्षत्र - चित्रा
योग - साध्य
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
****
क्षमा केवल वाणी का विषय नहीं है,वह अंतःकरण की निधि है। 

शर्करा की मिठास जिह्वा पर ही प्रतीत होती है 
परन्तु क्षमा का माधुर्य अंतःकरण तक बना रहता है। 
क्षमा शान्तिदायिनी है।

बुधवार, 22 जुलाई 2015

गौरी नारायणी नमस्तुते

ऊँ जयन्ती मंगलाकारी भद्रकारी कपालिनी ।
दूर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुते ।।


ऊँ नमः देव्यैः महादेव्यैः शिवायैः सततं नमः ।
नमः प्रकृत्यैः भद्रायैः नियताः प्रणताः स्मताम्।।

सर्वमंगल मंगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमस्तुते ।।

आज का दिनाँक 23 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 23 जुलाई 2015
दिन - गुरूवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ़
पक्ष - शुक्लपक्ष
तिथि - सप्तमी
नक्षत्र - हस्त
योग - सिद्ध
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
****
मनुष्य का होश और जोश तराजू के दो पलडों के समान होता है 

जब एक बढ़ता है तो दूसरा उसी अनुपात में घटता है,
लेकिन सफलता का मूल मंत्र दोनों में अच्छा संतुलन बनाना ही है।

जब मिलेगा क्या उन्हें आखिर.

सयाने है जमाने की ‪#‎नसीहत‬ देख लेते है. वो खुद की.
बाप से पहले तबियत देख लेते है.
मरेगा बुढ़ा बाप जब मिलेगा क्या उन्हें आखिर.
वो कंधा देने से पहले ‪#‎वसीयत‬ देख लेते है.

मिटटी दी खुशबू आयी

जद्दो अम्ब्रा बरसिया पानी 
मिटटी दी खुशबू आयी

मुस्करा के बोली

मैंने पूछा ‪#‎मुहब्बत‬ कितनी करती, हो तुम मुझसे...
"मुस्करा के बोली, पागल खुशबू के, ‪#‎पैमाने‬ नहीं होते..."

गुरुवार, 16 जुलाई 2015

नारायणि नमोस्तु ते

सौन्दर्य लक्ष्मी नमस्तेस्तु सर्वालंकार शोभिते
रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्र्च देहि मे
मंगले मंगलाधारे मांगल्ये मंगल प्रदे

मंगलार्थं मंगलेशि मांगल्यं देहि मे सदा

ॐ सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तु ते

आज का दिनाँक 17 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 17 जुलाई 2015
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ़
पक्ष - शुक्लपक्ष
तिथि - एकम
नक्षत्र - पुष्य
योग - वज्र
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
****
कोई व्यक्ति सिर्फ इसलिए प्रसन्न नहीं दिखाई देता कि उसे कोई परेशानी नहीं है,

बल्कि इसलिए प्रसन्न रहता है कि उसका जीवन जीने का दृष्टिकोण सकारात्मक है।

You are the reason why I have sleepless nights, why I tend to hold my pillow tight and I can’t sleep without saying good night.

बुधवार, 15 जुलाई 2015

धीरे-धीरे रे मना,

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।
- संत कबीर
अर्थ : मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है.
अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे
तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा !

ॐ जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का.स्वामी दुख बिनसे मन का
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे,कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी,स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा,आस करूं मैं जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी,स्वामी तुम अंतरयामी
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर,तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता,स्वामी तुम पालनकर्ता
मैं मूरख खल कामी, मैं सेवक तुम स्वामी,कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय,तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीनबंधु दुखहर्ता, ठाकुर तुम मेरे,स्वामी ठाकुर तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ,द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,स्वमी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,संतन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
जिनका मन समभाव में स्थित है, उनके द्वारा इस जीवित अवस्था में ही सम्पूर्ण संसार जीत लिया गया है क्योंकि सच्चिदानन्दघन परमात्मा निर्दोष और सम है, इससे वे सच्चिदानन्दघन परमात्मा में ही स्थित हैं॥
जो पुरुष प्रिय को प्राप्त होकर हर्षित नहीं हो और अप्रिय को प्राप्त होकर उद्विग्न न हो, वह स्थिरबुद्धि, संशयरहित, ब्रह्मवेत्ता पुरुष सच्चिदानन्दघन परब्रह्म परमात्मा में एकीभाव से नित्य स्थित है॥

आज का दिनाँक 16 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 16 जुलाई 2015
दिन - गुरूवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ (पुरूषोत्तम मास)
पक्ष - कृष्णपक्ष
तिथि - अमावस्या
नक्षत्र - पुनर्वसु
योग - हर्षण
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में

****************************************************
कार्य करने से कतराने वाले लोग ही त्रुटियाॅं निकालने के लिए तैयाार बैठे रहते है,
लेकिन तुम किसी बात से उत्साहहीन न होना। 
सिंह की शूरता और पुष्प की कोमलता के साथ काम करते रहो।

दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे! यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे! वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का! और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे!

उसकी प्यारी मुस्कान होश उड़ा देती हैं उसकी आँखें हमें दुनिया भुला देती हैं आएगी आज भी वो सपने मैं यारो बस यही उम्मीद हमें रोज़ सुला देती हैं “शुभ रात्रि “

मंगलवार, 14 जुलाई 2015

तो पानी हों जाऊँ.

एक क़तरा ही सहीं, मुझे ऐसी नियत दें मेरे मौला....!
किसी को प्यासा जो देखूँ,
तो पानी हों जाऊँ...!!

आज का दिनाँक 15 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 15 जुलाई 2015
दिन - बुधवार
विक्रम संवत 2072 शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ (पुरूषोत्तम मास)
पक्ष - कृष्णपक्ष
तिथि - चतुर्दशी
नक्षत्र - आद्र्रा
योग - व्याघात
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
****
जीवन को सफल बनाने के लिए शिक्षा की जरूरत है, डिग्री की नहीं। हमारी डिग्री है -हमारा स्वभाव, हमारी नम्रता, हमारे जीवन की सरलता। अगर यह डिग्री नहीं मिली, अगर हमारी आत्मा जागरित न हुई तो कागज की डिग्री व्यर्थ है।


जिसको भी चाहा उसे शिद्दत से चाहा है 'फ़राज़'; सिलसिला टूटा नहीं है दर्द की ज़ंजीर का।

बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये; कि अब तलक नही पलटे हैं लोग कब के गये; करेगा कौन तेरी बेवफ़ाइयों का गिला; यही है रस्मे ज़माना तो हम भी अब के गये; मगर किसी ने हमें हमसफ़र नही जाना; ये और बात कि हम साथ साथ सब के गये; अब आये हो तो यहाँ क्या है देखने के लिए; ये शहर कब से है वीरां वो लोग कब के गये; गिरफ़्ता दिल थे मगर हौसला नहीं हारा; गिरफ़्ता दिल है मगर हौंसले भी अब के गये; तुम अपनी शम्ऐ-तमन्ना को रो रहे हो 'फ़राज़'; इन आँधियों में तो प्यारे चिराग सब के गये।

मेरे क़ाबू में न... मेरे क़ाबू में न पहरों दिल-ए-नाशाद आया; वो मेरा भूलने वाला जो मुझे याद आया; दी मुअज्जिन ने शब-ए-वस्ल अज़ान पिछली रात; हाए कम-बख्त के किस वक्त ख़ुदा याद आया; लीजिए सुनिए अब अफ़साना-ए-फुर्कत मुझ से; आप ने याद दिलाया तो मुझे याद आया; आप की महिफ़ल में सभी कुछ है मगर 'दाग़' नहीं' मुझ को वो ख़ाना-ख़राब आज बहुत याद आया।

सोमवार, 13 जुलाई 2015

|| भवानी अष्टकम ||

|| भवानी अष्टकम ||
न तातो न माता न बन्धुर्न दाता न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता |
न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि || १ ||
भवाब्धावपारे महादुःखभीरु पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः |
कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि || २ ||

न जानामि दानं न च ध्यानयोगं न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम् |
न जानामि पूजां न च न्यासयोगं गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि || ३ ||
न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित् |
न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातर्गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि || ४ ||
कुकर्मी कुसङ्गी कुबुद्धिः कुदासः कुलाचारहीनः कदाचारलीनः |
कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहं गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि || ५ ||
प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित् |
न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि || ६ ||
विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये |
अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि || ७ ||
अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तो महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः |
विपत्तौ प्रविष्टः प्रनष्टः सदाहं गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि || ८ ||

आज का दिनाँक 14 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 14 जुलाई 2015
दिन - मंगलवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ (पुरूषोत्तम मास)
पक्ष - कृष्णपक्ष
तिथि - त्रयोदशी
नक्षत्र - मृगशीर्ष
योग - ध्रुव
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
****
एक पत्थर सिर्फ एक बार मन्दिर जाता है और भगवान बन जाता है 

हम इंसान हर रोज मन्दिर जाते है पर भगवान तो दूर इंसाान भी नही बन पाते है।

शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

I think its cute when you know that someone is making an effort to make you smile.

The Most beautiful thing in this world is to see your parents smiling and knowing that you are the reason behind that smile.

PROMISE: We break them ……. MEMORIES: They break us.

Its better to be alone than being with someone who makes you feel alone.

Dear GOD, Thank you for being there when no body else was.

A woman who doesn’t ask for anything DESERVES everthing.

Education is the most powerful weapon, you can use to change the world.

It’s easy to forgive the mistakes from others. But it’s hard to rebuild the trust.

I dont want to stay young forever b’coz if I do, I won’t be having my best dream which is to grow old with you.

All life is an experiment. The more experiments you make, the better.

It’s amazing how one word from the right person can make you feel better in a second.

As long as I have you, I will always have everything I need to be happy.

I wish I had a delete button in my life to delete some memories and feelings.

I wanna be the last number you call late at night and the first one that you dial when you open your eyes.

It’s amazing how few pictures can bring back so many memories.

गुरुवार, 9 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 10 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 10 जुलाई 2015
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ (पुरूषोत्तम मास)
पक्ष - कृष्णपक्ष
तिथि - नवमी
नक्षत्र - अश्विनी
योग - धृति
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
****
जिससे मोहब्बत की जाए उसके बारे में ज्यादा सोचना नही चाहिये 

क्योकि सोच शक को जन्म देती है और शक मोहब्बत को खत्म कर देता है।

बुधवार, 8 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 09 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 09 जुलाई 2015
दिन - गुरूवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ (पुरूषोत्तम मास)
पक्ष - कृष्णपक्ष
तिथि - अष्टमी
नक्षत्र - रेवती
योग - अतिगंड
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
****
रिश्ता दिल में होना चाहिऐ शब्दो में नहीं 

और नाराजगी शब्दो में होनी चाहिऐ दिल में नहीं।

मंगलवार, 7 जुलाई 2015

रोज आएंगे मेरी

आप जब तक रहेंगे आंखों में ‪#‎नजारा‬ बनकर
रोज आएंगे मेरी दुनिया में ‪#‎उजाला‬ बनकर

शिवजी के सिर पर चन्द्र क्यों ?

शिवजी के सिर पर चन्द्र क्यों ?
भगवान शिव के सिर पर चन्द्र उनके योगी स्वरूप की शोभा बढ़ाता है। इनका एक नाम शशिधर भी है। शिवजी अपने सिर पर चंद्र को धारण किया है इसी वजह से इन्हें शशिधर के नाम से भी जाना जाता है। भोलेनाथ ने मस्तक पर चंद्र को क्यों धारण कर रखा है? इस संबंध में शिव पुराण में उल्लेख है कि जब देवताओं और असुरों द्वारा समुद्र मंथन किया गया, तब 14 रत्नों के मंथन से प्रकट हुए। इस मंथन में सबसे विष निकला।
विष इतना भयंकर था कि इसका प्रभाव पूरी सृष्टि पर फैलता जा रहा था परंतु इसे रोक पाना किसी भी देवी-देवता या असुर के बस में नहीं था। इस समय सृष्टि को बचाने के उद्देश्य से शिव ने वह अति जहरीला विष पी लिया। इसके बाद शिवजी का शरीर विष प्रभाव से अत्यधिक गर्म होने लगा। शिवजी के शरीर को शीतलता मिले इस वजह से उन्होंने चंद्र को धारण किया।
विषपान के बाद शिवजी का शरीर और अधिक गर्म हो गया जिसे शीतल करने के लिए उन्होंने चंद्र आदि को धारण किया। चंद्र को धारण करके शिवजी यही संदेश देते हैं कि आपका मन हमेशा शांत रहना चाहिए। आपका स्वभाव चाहे जितना क्रोधित हो परंतु आपका मन हमेशा ही चंद्र की तरह ठंडक देने वाला रहना चाहिए। जिस तरह चांद सूर्य से उष्मा लेकर भी हमें शीतलता ही प्रदान करता है उसी तरह हमें भी हमारा स्वभाव बनाना चाहिए।

आज का दिनाँक 08 जुलाई 2015

आज का दिनाँक 08 जुलाई 2015
दिन - बुधवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ (पुरूषोत्तम मास)
पक्ष - कृष्णपक्ष
तिथि - सप्तमी
नक्षत्र - उ. भाद्रपदा
योग - शोभन
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
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"बहसबाजी" झूठे अहंकार से पैदा होती है 

और दिलो में खटास के रूप में घर बना लेती है।

सोमवार, 6 जुलाई 2015

थोडा मुस्कुरा के चल .

दिल्लगी कर जिंदगी से, दिल लगा के चल . 
जिंदगी है थोड़ी, थोडा मुस्कुरा के चल .

न मिलने वाली

यह मेरी भूल थी जो मैने तुझे ‪#‎प्यार‬ किया।
न मिलने वाली मोहब्बत का ‪#‎इन्तजार‬. किया॥

मंगल मूर्ति रूप

पवंत्नाये संकट हरण , मंगल मूर्ति रूप |
राम लखन सीता सहेत , हृदये बसु सुर भूप ||