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आरआईएमसी भारतीय उपमहाद्वीप का पहला सैन्य प्रशिक्षण संस्थान है जिसका उद्घाटन तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स और बाद में सम्राट बने एडवर्ड अष्टम ने 100 साल पहले किया था। वर्तमान में आरआईएमसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी एझिमाला के लिए एक प्रमुख फीडर संस्थान है।
आरआईएमसी के कमांडेंट कर्नल अजय कुमार द्वारा राज्यपाल की अगवानी किए जाने के बाद रंगरूटों ने उन्हें शानदार गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
कॉलेज के पटियाला पैवेलियन के विशाल लॉन में आयोजित शताब्दी समारोह में अन्य कार्यक्रमों के अलावा रंगरूटों द्वारा आरआईएमसी के अपने अनुभवों के बारे में लिखी गई पुस्तक 'बाल-विवेक' और कॉलेज के पूर्व रंगरूटों द्वारा लिखित पुस्तक 'वैलर एंड विस्डम' का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल ने एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।
रंगरूटों को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने राष्ट्र की सेवा में आरआईएमसी और यहां के पूर्व छात्रों के उत्कृष्ट योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि पिछले 100 साल से आरआईएमसी देश की सेवा में लगातार महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है और यहां के छात्र राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा कि द्धितीय विश्वयुद्ध से लेकर बालाकोट ऑपरेशन तक उनकी सैन्य क्षमताएं और नेतृत्व योग्यताओं को कभी भूला नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि केडेट, अधिकारियों और आरआईएमसी से जुड़ी टीम के आत्मविश्वास, योग्यता और समर्पण के कारण यह संस्थान विभिन्न चुनौतियों से गुजरने के बावजूद शीर्ष स्थान पर रहा है और लगातार उत्कृष्टता की ओर बढ रहा है।
राज्यपाल ने रंगरूटों से भविष्य में प्रौद्योगिकी के कारण तेजी से बदल रही नेतृत्व की भूमिका और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा।
प्रतिष्ठित संस्थान में आने वाले दिनों में महिला रंगरूटों के एकीकरण के बारे में विश्वास और उत्साह व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह आरआईएमसी की सफलता में एक और स्वर्णिम अध्याय होगा।
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