रविवार, 17 जुलाई 2022

Neelkanth Mahadev: समुद्र मंथन में निकले विष को पीने के बाद शिव ने यहां पर लगाई थी समाधि, तभी से नीलकंठ महादेव नाम पड़ा

समुद्र मंथन हुआ था, तब कई रत्नों के अलावा हलाहल विष भी निकला था। विष से सृष्टि और प्राणियों की सुरक्षा के लिए भगवान शिव ने उसको पी लिया था। विष की ऊष्णता (गर्मी) से बेचैन भगवान शिव शीतलता की खोज में हिमालय की तरफ बढ़ चले और वर्तमान में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर प्रखंड में स्थित मणिकूट पर्वत पर पंकजा और मधुमती नदी की शीतलता को देखते हुए नदियों के संगम पर एक वृक्ष के नीचे बैठ गए थे। आज इसी जगह को नीलकंठ महादेव को रूप में जाना जाता है।

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