मंगलवार, 23 जून 2015

जब सामने तुम....

देखके तुमको, होश में आना भूल गये..
याद रहे तुम, और ज़माना भूल गये---
जब सामने तुम, आ जाते हो, क्या जानिए क्या हो जाता है
कुछ मिल जाता है, कुछ खो जाता है, क्या जानिए क्या हो जाता है
चाहा था यह कहेंगे, सोचा था सोचा था वो कहेंगे
आए वो सामने तो, कुछ भी ना कह सके
बस देखा किए उन्हें हम
देख कर तुझको यकीन होता है, कोई इतना भी हसीन होता है
देख पाते हैं कहाँ हम तुमको, दिल कहीं होश कहीं होता है
जब सामने तुम....

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