आदिवासी महिला शीला उरांव ने बताई कि साल 2000 में ट्रेनिंग ली. साल2004 में 10 महिलाओं का ग्रुप बना. वहीं साल 2005 से हमलोग केंचुआ खाद बनाने का काम शुरू किए.इस काम के शुरुआत करने की प्रेरणा मुझे खुद से मिली
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