गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024

50 साल पहले टूटा था दुखों का पहाड़, 1 रुपये में बिक जाती कंपनी, हार नहीं मानी

ओंकार सिंह कंवर की पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों संघर्ष भरी रही. विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान से हिंदुस्तान पहुंचा और यहां रहकर कामयाबी की नई इबारत लिखी.

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