पुष्पेंद्र ने बताया कि शुरुआत में नोटबुक को साइकिल में बांधकर दुकानों में सप्लाई करते थे. जिससे धीरे-धीरे कुछ आमदनी आना शुरू हो गया. इस बीच एक मित्र ने खुद की फैक्ट्री लगाने की सलाह दी. लेकिन पैसे की तंगी आड़े आ रहा था.
from News in Hindi, Latest News, News https://ift.tt/YS6uhLV
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें