सोमवार, 31 अगस्त 2015

आज का दिनांक 01 सितंबर 2015

आज का दिनांक 01 सितंबर 2015
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – भाद्रपद
पक्ष - कृष्णपक्ष
तिथि - तृतीया
नक्षत्र – उत्तरा भाद्रपद
योग - गंड
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
****
सत्य वह दौलत है जिसे पहले खर्च करो और जिंदगी भर आनंद पाओ, 

झूठ वह कर्ज है जिससे क्षणिक सुःख पाओ पर जिंदगी भर चुकाते रहो।

शनिवार, 29 अगस्त 2015

एक सामान्य ज्ञान का सवाल..

दोपहर की चाय के साथ एक सामान्य ज्ञान का सवाल..
विश्व के कितने देशों को अहिंसा से आज़ादी मिली.. ?

वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि :

रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि
-वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि :
इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है -

(१) दूर्वा (घास)
(२) अक्षत (चावल)
(३) केसर
(४) चन्दन
(५) सरसों के दाने ।
इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी ।
इन पांच वस्तुओं का महत्त्व -
(१) दूर्वा - जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सदगुणों का विकास तेज़ी से हो । सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बदता जाए । दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए ।
(२) अक्षत - हमारी गुरुदेव केप्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे ।
(३) केसर - केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, वह तेजस्वी हो । उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो ।
(४) चन्दन - चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है । उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो । साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे ।
(५) सरसों के दाने - सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें ।
इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम भगवान -चित्र पर अर्पित करें । फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे ।
इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं हम पुत्र-पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्ष भर सूखी रहते हैं ।
राखी बाँधते समय बहन यह मंत्र बोले –
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: |
तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल ||
शिष्य गुरुको रक्षासूत्र बाँधते समय –
‘अभिबन्धामि ‘ के स्थान पर ‘रक्षबन्धामि’ कहे |
और चाकलेट ना खिलाकर भारतीय मिठाई या गुड से मुहं मीठा कराएँ।
अपना देश अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपनी भाषा अपना गौरव
वन्दे मातरम्

समस्त मित्रगणों को बहुत- बहुत शुभकामनाये ।

आज का दिनाँक 29 अगस्त 2015
दिन - शनिवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - श्रावण
पक्ष - शुक्लपक्ष
तिथि - पूर्णिमा
नक्षत्र - धनिष्ठा
योग - अतिगंड
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
****
गुरू की कृपा के बिना भक्ति रूपी अमृत रस को प्राप्त कर पाना पूर्णतया असम्भव है।


रक्षाबन्धन
 की इस
 पावन बेला पर आपको,  
आपके परिवारजनों
 को एवम् समस्त मित्रगणों को बहुत- बहुत शुभकामनाये ।

मंगलवार, 18 अगस्त 2015

।।सुप्रभात।।
जय श्री राधेय कृष्ण जी :)

आज का दिनाँक 19 अगस्त 2015

आज का दिनाँक 19 अगस्त 2015
दिन - बुधवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - श्रावण
पक्ष - शुक्लपक्ष
तिथि - पंचमी
नक्षत्र - हस्त
योग - साध्य
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
****
जिनके घर संतजनों का मेहमान की तरह आदर सत्कार नहीं होता। 

ऐसे घरों में पापरूपी यम का ड़ेरा होता है और जीवित रहते हुए भी वह घर श्मशान घाट के समान हैं।

सोमवार, 10 अगस्त 2015

शनिवार, 8 अगस्त 2015

सुप्रभात मित्रों शुभ दिन रविवार।

सुप्रभात मित्रों शुभ दिन रविवार। 
ॐ घृणी सूर्याय नमः आइए जानते हैं 
भगवान सूर्य के 21 नाम -

1.

विकर्तन यानी विपत्तियों को नष्ट करने वाले
2.
विवस्वान यानी प्रकाश रूप
3.
मार्तंड
4.
भास्कर
5.
रवि
6.
लोकप्रकाशक
7.
श्रीमान
8.
लोक चक्षु
9.
गृहेश्वर
10.
लोक साक्षी
11.
त्रिलोकेश
12.
कर्ता
13.
हर्ता
14.
तमिस्त्रहा यानी अंधकार को नष्ट करने वाले
15.
तपन
16.
तापन
17.
शुचि यानी पवित्रतम
18.
सप्ताश्ववाहन
19.
गभस्तिहस्त यानी किरणें जिनके हाथ स्वरूप हैं
20.
ब्रह्मा
21.
सर्वदेवनमस्कृत।
भगवान सूर्य के नाम मनुष्य को यश, वैभव और संपन्नता दिलाते हैं।

आज का दिनाँक 09 अगस्त 2015

आज का दिनाँक 09 अगस्त 2015
दिन - रविवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - श्रावण
पक्ष - कृष्णपक्ष
तिथि - दशमी
नक्षत्र - रोहिणी
योग - ध्रुव
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
****
जहाँ क्षमा है वहाँ धर्म का वास होता है तथा जहाँ दया है 

उस स्थान पर स्वयं परमात्मा का निवास होता है।

शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

सुप्रभात मित्रों

सुप्रभात मित्रों
शुभ दिन शनिवार।
आप सभी का दिन मंगलमय हो ।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा
नमोऽस्तु‍ते सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु।

"मंगल-मूरति मारूत-नंदन।

"मंगल-मूरति मारूत-नंदन।
सकल-अमंगल-मूल-निकंदन॥
पवनतनय संतन-हितकारी।
ह्रदय बिराजत अवध-बिहारी॥
मातु-पिता,गुरू,गनपति,सारद।
सिवा-समेत संभु,सुक,नारद॥
चरन बंदि बिनवौं सब काहू।
देहु रामपद-नेह-निबाहू॥
बंदौं राम-लखन-बैदेही।
जे तुलसीके परम सनेही॥
ॐ हं हनुमतये नमः॥

आज का दिनाँक 08 अगस्त 2015

आज का दिनाँक 08 अगस्त 2015
दिन - शनिवार
विक्रम संवत 2072
शक संवत 1937
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - श्रावण
पक्ष - कृष्णपक्ष
तिथि - नवमी
नक्षत्र - कृत्तिका
योग - वृद्धि
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
****
दया का लक्षण भक्ति है और श्रध्दा पूर्वक भक्ति करने से 

परमात्मा का ध्यान होता है। 
जो ध्यान करता है उसी को ज्ञान मिलता है।

आदरणीय बंधुओ नमस्कार ।

आदरणीय बंधुओ
नमस्कार ।


इस बार फिर प्रेम का धागा चाइनीज न बन जाए। यह रक्षाबंधन जो कभी राष्ट्र को एक करने में महत्ती भूमिका निभाते आया है ,चाइना के चक्कर में राष्ट्र घात क न बन जाये।

संकल्प दिलाना होगा प्यारी बहना को कि तूँ बांध दे एक कच्चा धागा मेरी कलाई पर, 

परन्तु.. यह चमचमाता चाइनीज धागा मेरी भारत माँ का गलफांस न बन जाये।

स्वदेशी रक्षाबंधन को स्वदेशी ही रहने ने,चाइना ने इस बार रक्षा बंधन पर भारत में बीस हजार करोड़ रुपये का सामान उतारा है। हमारा असली रक्षाबंधन मनाने का एक अवसर हमारे सामने आया है।
संकल्प करे कि चाइना की राखी न तो बांधेंगे और न ही बांधने देंगे।

कृपया यह सन्देश अपनी प्यारी बहना को जरुर भेजे।

राखी से पहले हर मोबइल में यह Massage होना चाहिए ।
तब ही 15 अगस्त मनाने की सार्थकता हैं । 

स्वदेशी नहीं तो कैसा देशप्रेम और देशप्रेम नहीं तो कैसा स्वतंत्रता दिवस ।।